Winter New Update 2023 ;- ठंड के मौसम में रहें सावधान, जुकाम से फट जा रहे कान के पर्दे, जानें ज्यादा जानकारी
दोस्तों आपको बता दें कि अगर आपको 1 सप्ताह से अधिक समय तक किसी भी प्रकार की ठंड महसूस हो रही है तो आप जल्द ही डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि सबसे बड़ी खबर सामने यह आ रही है कि ठंड लगने के कारण कान के चतरा जो होते हैं वह फट जाते हैं इसी कारण अगर आपको ठंड महसूस हो रही है तो आप डॉक्टर के पास जाकर सलाह ले ज्यादा जानकारी के लिए आप हमारी इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें
अगर आपको एक सप्ताह से अधिक समय तक जुकाम है तो इसे हल्के में कतई न लें. इसकी वजह से मरीजों के कान के पर्दे फट जा रहे हैं. ऐसे मरीजों के कान में तेजी से मवाद बन रहा है,जो उनके सुनने वाली ग्रंथियों को संक्रमित कर रहा है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में 70 फीसदी मरीज इस समस्या से पीड़ित आ रहे हैं. डॉक्टर ऐसे मरीजों को सलाह दे रहे हैं कि अगर ज्यादा दिनों से जुकाम की समस्या है तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें. वरना यह समस्या हमेशा के लिए उन्हें बहरा बना सकती है.
बढ़ती ठंड की वजह से सर्दी ज़ुकाम के मरीजों में बढ़ोतरी बहुत तेजी से होती है. लेकिन कुछ ही दिनों में ठीक भी है जाता है. यदि यही सर्दी ज़ुकाम एक हफ्ते से ज्यादा समय से है तो ये आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में तैनात डाक्टर पीएन सिंह ने बताया है कि सर्दी बढ़ने के साथ लोग सर्दी ज़ुकाम से पीड़ित होते हैं और ज़ुकाम कुछ दिनों में ठीक हो जाती है. लेकिन यदि किसी व्यक्ति को एक हफ्ते से ज्यादा समय सर्दी ज़ुकाम रहता है तो उसके कान के पर्दे फट जाते हैं. जिससे कान में पस यानी मवाद बन जाता है जो मरीज के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है. नाक, कान,गला रोग विशेषज्ञ डा पीएन सिंह ने बताया कि ठंड के मौसम में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है.
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इस बीमारी में मरीजों की किन पैनिक झिल्ली यानी कान के पर्दे में तेजी से छेद हो रहा है,जो धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है. ऐसे मरीजों की जांच में यह जानकारी मिली है कि इन्हें काफी दिनों से सर्दी और जुकाम था. स्थानीय स्तर पर दवा लेने के बाद भी ठीक नहीं हुआ. इस बीच कान से सुनाई कम देने लगा और कान से मवाद आने लगा.
जांच में पता चला कि मरीजों के कान के पर्दे फट गए हैं. ऐसे मरीजों की संख्या 70 फीसदी है. बताया कि नाक के पिछले और गले के ऊपरी हिस्से में यूस्टेकियन ट्यूब होती है. इसमें सर्दी की वजह से अक्सर संक्रमण हो जाता है और इसमें सूजन आ जाती है. इस बीच संक्रमण बढ़ने लगता है और कान के पर्दे तक पहुंच जाता है और पर्दे में छेद हो जाता है. इसके बाद कान बहने लगता है. लेकिन,इस पर मरीज ध्यान नहीं देता है.
इस स्थिति में मरीज को लगता है कि सर्दी की वजह से उसे कम सुनाई दे रहा है,जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. कान के पर्दे में जब छेद छोटा होता है तो दर्द कम होता है. लेकिन,संक्रमण बढ़ने के साथ दर्द भी तेज होता है और असहनीय दर्द होने लगता है. कभी-कभार कान से खून भी आ जाता है. ऐसी स्थिति में जब भी कान भारी लगे और हल्का दर्द हो तो तत्काल डॉक्टर से सलाह लें. डॉ पी एन सिंह ने बताया कि 70 फीसदी मरीजों में 50 फीसदी ऐसे हैं, जिनके कान में पर्दे में बड़ा छेद (बिग सेंट्रल परफोरेशन) हो रहा है.
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बड़े छेद का अर्थ है कि कान के पर्दे का ज्यादा फट जाना. इसमें मरीजों को ऑपरेशन करने की जरूरत पड़ रही है. जबकि,20 फीसदी मरीजों के कान के पर्दे में छोटा छेद (स्मॉल सेंट्रल परफोरेशन) हो रहा है, जो दवा से ठीक हो जा रहे हैं. कान के पर्दे फटने के लक्षण कान के अंदर हवा बहना महसूस होना,कम सुनाई देना,कान में तेज दर्द होना,छींकते समय सीटी सुनाई देना,कान से मवाद और खून आना है. खासकर बच्चों के लिए विशेष सावधानी रखे कान में कोई दिक्कत होने पर डॉक्टर से बिना सलाह लिए कोई चीज कान में न डाले. सर्दी के मौसम में विशेष सावधानी बरते जुकाम होने पर उचित परामर्श डॉक्टर से लेकर इलाज करवाए.
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